वही है दर्द, वही दिल वही है, शम-ए- खेयाल
उसी का ज़िक्र मुसलसल है ज़िन्दगी मेरी
कभी है साज़, कभी सोज़, तो कभी नगमा
बदलती रंग ये हर पल है जिंदगी मेरी
वो अपने हुस्न को महसूस करगई शयेद
जभी तो शोख है ,चंचल है ज़िन्दगी मेरी
ज़रा सा पांव क्या रक्खा के फिर निकल न सके
ये ख्वाहिशात का दलदल है ज़िन्दगी मेरी
कुछ इसतरह से ये बहती रही पता न चला
हवा है, आब या , बादल है ज़िन्दगी मेरी
ये मेरे शेर, ये ग़ज़लें "वसी " उसी केलिए
उसी की आँख का काजल है ज़िन्दगी मेरी.
उसी का ज़िक्र मुसलसल है ज़िन्दगी मेरी
कभी है साज़, कभी सोज़, तो कभी नगमा
बदलती रंग ये हर पल है जिंदगी मेरी
वो अपने हुस्न को महसूस करगई शयेद
जभी तो शोख है ,चंचल है ज़िन्दगी मेरी
ज़रा सा पांव क्या रक्खा के फिर निकल न सके
ये ख्वाहिशात का दलदल है ज़िन्दगी मेरी
कुछ इसतरह से ये बहती रही पता न चला
हवा है, आब या , बादल है ज़िन्दगी मेरी
ये मेरे शेर, ये ग़ज़लें "वसी " उसी केलिए
उसी की आँख का काजल है ज़िन्दगी मेरी.
वसी भाई, अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह व बर्कातुहू... जनाब सबसे पहले तो मेरे ब्लॉग पर आने और समर्थक बनने का तहे दिल से शुक्रिया और इस्तेकबाल | वसी भाई, आपका ब्लॉग मुझे अच्छा नहीं बल्कि बहुत अच्छा लगा | उम्मीद है आप इस ब्लॉग पर इसी तरह अच्छे अच्छे शेर और बातें लिखते रहेंगे | एक बात और आपके ब्लॉग का नाम जो की ज़िन्दगी है --- वो मेरी ज़िन्दगी में कभी कोई मुझे इसी नाम से बुलाया करता था और मैं उसे अपनी आरजू | एक बात कहूँगा ---
ReplyDelete"एक बार आरज़ू ने ज़िन्दगी से पूछा कि मैं कब पूरी होउंगी? ज़िन्दगी ने जवाब दिया- कभी नहीं. आरज़ू ने घबरा कर फ़िर पूछा- क्यूँ? तो ज़िन्दगी ने जवाब दिया 'अगर तू ही पूरी हो गई तो इंसान जीएगा कैसे?!' ये सुन कर आरज़ू बहुत मायूस हो गई और अपने आँचल के अन्दर सुबक सुबक कर रोने लगी." -सलीम खान २०००
अल्लाह सुभान व तआला आपको इस राह में तरक्की दे| हाँ एक सलाह आप पीस टी. वी. देखा करें |
फ़िर लिखेंगे....
अल्लाह हाफिज़
please remove word verificatin so that one can easily post the comments
ReplyDeleteSaleem ji, salaam wale kum
ReplyDeleteYe arzu/jindagi wala quote aapka apana hai ya kahi se liya hai; bada badiya hai; yadi aapka nahi hai to source batayin please!
Dhanyavaad.
सलीम भाई,
ReplyDeleteसलाम आले कम. चिट्टे पे कमेन्ट करने के लिए शुक्रिया.
जरुरी बात ये हैके ज़िन्दगी और आरजू की कहानी आपकी अपनी सोच है या कहीं और से ली गई है.
असल में मैं ने जे.न.यु की लाइफ पैर एक नोवेल(कशमकश लिखी है में उसमें ये कहानी कोट करना चाहता हूँ .
please सोर्स का नाबतायं, वसी jnu .
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteya shayed kisi urdu ki magzin se padi thi magar ye yaad thik thik nahi
ReplyDeletei was in love frm that period and frm that year i.e 2000 i m using it
ReplyDeletewhat about your love, any progress, or what.
ReplyDeletewrite your story if possible.
i am a writer may i get some thing new to write a script or a story or novel.
khuda hafiz,
wasi
wasi bhai yeh rasgullae see meethi nazmain kabj kartee hain, kuch poetry or politics par farmain...bahaaren to humnae bhi khoob dekhee hain...mazaa to jab hai ki ladain hum bhi bahaaron kae liyae aanae waali naslon kae...
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